‘एम.एस.धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’फेम पाने वाले बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत बेहद खामोशी के साथ दुनिया से मुंह मोड़कर जा चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्में न मिलने की वजह से पिछले कुछ समय से सुशांत सिहं राजपूत डिप्रेशन से जूझ रहे थे। सुशांत के जाने के बाद उनके सभी परिवार वाले और प्रियजन गहरे सदमे में है। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि परिवार का होनहार बेटा, जिसने इतने बड़े शहर में अकेले अपने दम पर ऊंचा मुकाम हासिल किया, जो सभी परिवार वालों की परवाह किया करता था, सभी का आदर किया करता था, वो कैसे मुंह मोड़कर चला गया? कैसे उसने हार मानकर मौ’त को गले लगा लिया?
कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से सुशांत की बॉडी को उनके गांव पटना भी नहीं ले जाया जा सका। मुंबई में ही सुशांत का अंतिम संस्कार हुआ। उनके अंतिम संस्कार पर सुशांत के पिता, बहनें, बहनोई, कुछ करीबी रिश्तेदार, फिल्म और टीवी इंडस्ट्री से कुछ सितारों ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। उनकी बड़ी बहन श्वेता सिंह कीर्ति अपने भाई के अंतिम संस्कार में नहीं पहुँच पाई। श्वेता अमेरिका में रहती हैं और उन्हें भारत पहुँचने के लिए फ्लाइट नहीं मिली।
सुशांत अपने परिवार के बेहद लाडले थे। होते भी क्यों ना? आखिर एक मां की मन्नतों का, उनकी दुआओं का फल थे सुशांत। चार बहनों के इकलौते भाई थे सुशांत। उनकी एक बहन मुंबई में ही रहती है। एक बहन का कुछ सालों पहले दे’हांत हो गया था।
चार बहनों के बाद सुशांत ने 21 जनवरी 1986 को बिहार के पटना में जन्म लिया था। सुशांत और उनके परिवार को जानने वाले पड़ोसी बताते हैं, कि उनकी मां स्वर्गिय ऊषा सिंह ने बेटे के लिए मंदिरों में मन्नतें मांगी थी, दुआंए की थी। तब जाकर सुशांत का जन्म हुआ था।
सुशांत बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थे, शांत स्वभाव के थे, इसलिए हर दिल अजीज़ थे। पड़ोसी बताते हैं कि सुशांत और उनकी मां को “पापा कहते हैं ऐसा काम करेगा… बेटा हमारा बड़ा नाम करेगा” गाना बेहद पसंद था, वह अक्सर इस गाने को गुनगुनाया करते थे।
सुशांत सिंह राजपूत ने अपने और अपनी मां सपनों को पूरा करने के लिए पटना से मुंबई तक का सफर तय किया। इसके लिए उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी छोड़ दी थी। सुशांत सिंह का कहना था कि वो बचपन से ही बहुत शर्मीले थे। उस वक्त किसी को शायद ही यकीन था कि वो कभी अभिनेता बन सकते हैं। सीरियल की दुनिया में नाम कमाने के बाद सुशांत ने ‘काई पो चे’ फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा और ‘एम.एस.धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’, ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘केदारनाथ’, ‘राब्ता’, ‘पीके’ और ‘छिछोरे’ जैसी फिल्मों में दमदारी अदाकारी दिखाकर सफलता के शीर्ष पर भी पहुंच गए थे।
लेकिन बेहद कम उम्र में ही सुशांत के हाथ से उनकी मां का हाथ छूट गया था। 2002 में ऊषा सिंह का ब्रेन हैमरेज की वजह से निधन हो गया था। मां के चले जाने के बाद सुशांत बेहद अकेले पड़ गए थे। कुछ ही साल पहले सुशांत अपनी नानी की मन्नत करने के लिए अपने ननिहाल भी गए थे।
दरअसल सुशांत के जन्म के लिए उनकी नानी ने भी बौरण्य स्थित प्रसिद्ध देवी शक्ति पीठ में उनके मुंडन संस्कार की मन्नत मांगी थी। नानी की इसी मन्नत को पूरा करने के लिए सुशांत ने ननिहाल जाकर देवी शक्ति पीठ में मुंडन करवाया था, गांववालों के साथ बेहद आदर से बातचीत की थी, और युवाओं के साथ क्रिकेट भी खेला था।
सुशांत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर श्यामक डावर के डांस ग्रुप को ज्वॉइन कर लिया। श्यामक के साथ सुशांत ने देश-विदेश में कई शोज किए। सुशांत एक बेहतरीन डांसर थे। फिल्म ‘धूम’ में वो ऋतिक रोशन के साथ बैकग्राउंड में डांस कर रहे थे। अपनी काबिलियत के दम पर वो पर्दे पर लीड अभिनेता बनने में कामयाब रहे लेकिन किसे पता था बॉलीवुड का ये चमकता सितारा इतनी जल्दी बुझ जाएगा।